कौसल्यायै नरपति: पायसार्धं ददौ तदा।
अर्धादर्धं ददौ चापि सुमित्रायै नराधिप:।।1.16.27।।
कैकेय्यै चावशिष्टार्धं ददौ पुत्रार्थकारणात्।
प्रददौ चावशिष्टार्धं पायसस्यामृतोपमम्।।1.16.28।।
अनुचिन्त्य सुमित्रायै पुनरेव महीपति:।
एवं तासां ददौ राजा भार्याणां पायसं पृथक् ।।1.16.29।।
अर्धादर्धं ददौ चापि सुमित्रायै नराधिप:।।1.16.27।।
कैकेय्यै चावशिष्टार्धं ददौ पुत्रार्थकारणात्।
प्रददौ चावशिष्टार्धं पायसस्यामृतोपमम्।।1.16.28।।
अनुचिन्त्य सुमित्रायै पुनरेव महीपति:।
एवं तासां ददौ राजा भार्याणां पायसं पृथक् ।।1.16.29।।