विसृज्य कन्या: काकुत्स्थ राजा त्रिदशविक्रम:।।1.33.9।।
मन्त्रज्ञो मन्त्रयामास प्रदानं सह मन्त्रिभि:।
देशकालौ प्रदानस्य सदृशे प्रतिपादनम्।।1.33.10।।
मन्त्रज्ञो मन्त्रयामास प्रदानं सह मन्त्रिभि:।
देशकालौ प्रदानस्य सदृशे प्रतिपादनम्।।1.33.10।।
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