प्राचीं होत्रे ददौ राजा दिशं स्वकुलवर्धन:।
अध्वर्यवे प्रतीचीं तु ब्रह्मणे दक्षिणां दिशम्।।1.14.41।।
उद्गात्रे च तथोदीचीं दक्षिणैषा विनिर्मिता।
हयमेधे महायज्ञे स्वयंभूविहिते पुरा।।1.14.42।।
अध्वर्यवे प्रतीचीं तु ब्रह्मणे दक्षिणां दिशम्।।1.14.41।।
उद्गात्रे च तथोदीचीं दक्षिणैषा विनिर्मिता।
हयमेधे महायज्ञे स्वयंभूविहिते पुरा।।1.14.42।।