एवमुक्त्वा महातेजा गौतमो दुष्टचारिणीम्।।1.48.33।।
इममाश्रममुत्सृज्य सिद्धचारणसेविते।
हिमवच्छिखरे पुण्ये तपस्तेपे महातपा:।।1.48.34।।
इममाश्रममुत्सृज्य सिद्धचारणसेविते।
हिमवच्छिखरे पुण्ये तपस्तेपे महातपा:।।1.48.34।।
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