[Bharadwaja welcomes Bharata and Vasistha -- Bharata discloses his intention to get back Rama.]
भरद्वाजाश्रमं दृष्ट्वा क्रोशादेव नरर्षभः।
बलं सर्वमवस्थाप्य जगाम सह मन्त्रिभिः।।2.90.1।।
पद्भ्यामेव हि धर्मज्ञो न्यस्तशस्त्रपरिच्छदः।
वसानो वाससी क्षौमे पुरोधाय पुरोधसम्।।2.90.2।।
भरद्वाजाश्रमं दृष्ट्वा क्रोशादेव नरर्षभः।
बलं सर्वमवस्थाप्य जगाम सह मन्त्रिभिः।।2.90.1।।
पद्भ्यामेव हि धर्मज्ञो न्यस्तशस्त्रपरिच्छदः।
वसानो वाससी क्षौमे पुरोधाय पुरोधसम्।।2.90.2।।