भगवन्नित आसन्नः पौरजानपदो जनः।
सुदर्शमिह मां प्रेक्ष्य मन्येऽहमिममाश्रमम्।।2.54.24।।
आगमिष्यति वैदेहीं मां चापि प्रेक्षको जनः।
अनेन कारणेनाहमिह वासं न रोचये।।2.54.25।।
सुदर्शमिह मां प्रेक्ष्य मन्येऽहमिममाश्रमम्।।2.54.24।।
आगमिष्यति वैदेहीं मां चापि प्रेक्षको जनः।
अनेन कारणेनाहमिह वासं न रोचये।।2.54.25।।