मेघनादमसम्बाधं मणिहेमविभूषितम्।
मुष्णन्तमिव चक्षूंषि प्रभया सूर्यवर्चसम्।।2.16.29।।
करेणुशिशुकल्पैश्च युक्तं परमवाजिभिः।
हरियुक्तं सहस्राक्षो रथमिन्द्र इवाशुगम्।।2.16.30।।
प्रययौ तूर्णमास्थाय राघवो ज्वलितश्श्रिया।
मुष्णन्तमिव चक्षूंषि प्रभया सूर्यवर्चसम्।।2.16.29।।
करेणुशिशुकल्पैश्च युक्तं परमवाजिभिः।
हरियुक्तं सहस्राक्षो रथमिन्द्र इवाशुगम्।।2.16.30।।
प्रययौ तूर्णमास्थाय राघवो ज्वलितश्श्रिया।