दुन्दुभिस्वनकल्पेन गम्भीरेणानुनादिना।
स्वरेण महता राजा जीमूत इव नादयन्।।2.2.2।।
राजलक्षणयुक्तेन कान्तेनानुपमेन च।
उवाच रसयुक्तेन स्वरेण नृपतिर्नृपान्।।2.2.3।।
स्वरेण महता राजा जीमूत इव नादयन्।।2.2.2।।
राजलक्षणयुक्तेन कान्तेनानुपमेन च।
उवाच रसयुक्तेन स्वरेण नृपतिर्नृपान्।।2.2.3।।